हमारे देश की जनसंख्या विश्व में दूसरे स्थान पर है। ये कुदरत का एक ऐसा उपहार है जो आज अभिशाप में बदल गया है , आर्थिक रूप से विकास करने के लिये अर्थव्यवस्था में दो सबसे मुख्य तथ्य (टूल्स ) आवश्यक होते है। पहला उत्पादन (प्रोडक्शन ) और दूसरा उपभोग (कन्जम्पसन) अब सोचिये की इन दोनो के लिये जो पहली आवश्यकता होती है, वो है जनसंख्या और हमारे देश की जनसंख्या विश्व में दूसरे नम्बर पर है। पर फिर भी कितना बड़ा दुर्भाग्य है, कि हम विकास में अभी भी इतना पीछे है। अरे विकास तो छोडिये, हम इतने गरीब है कि अभी भी हमारी कुल जनसंख्या का एक चौथाई भाग भूखे पेट सोता हैं। हैं ऐसा क्यो है, ऐसा इसलिये है, क्योकि देश में जिस उत्पादन में लगने के कारण उत्पादन, रोजगार एवं प्रतिव्यक्ति आय बढती है, वो उत्पादन तो विदेशों से आयात हो रहा है। विदेशी कम्पनियाँ वो उत्पादन कर रही है।
हमारे देश के उत्पादक वर्ग अगर उत्पादन कार्य में लगे हुये भी है, तो वो इतना पर्याप्त ही नहीं है कि उस उत्पादन में या उस व्यवसाय में सभी को रोजगार मिल सके। अब सोचिये इस एक चीज के कारण दोनो वर्गो का नुकसान हो रहा है। अगर हमारा व्यवसायी वर्ग व्यापार या उत्पादन क्षेत्र में सभी को रोजगार दे पाता, तो उसका उस व्यापार का सेटअप कितना बड़ा होता और उस बड़े सेटअप से उसके लाभ का सेटअप कितना बढ जाता। वो पुनः निवेश करता, उत्पादन बढता पुनः निवेश करता, पुनः रोजगार बढता, और जिससे पुनः आय बढती और दूसरी तरफ लगातार बढती आय से उपभोग बढता और इस बढे हुये उपभोग से हमे पुनः उत्पादन करने के लिये प्रेरणा मिलती। यानी यहाँ दोनो का नुकसान हो रहा है। ना तो व्यवसायी वर्ग अपना उत्पादन और लाभ बढ़ा पा रहा है, क्योंकि कन्जम्सस (उपयोग) नहीं है। क्योंकि लोग गरीब हैं। यह व्यवसायी या उत्पादक वर्ग का नुकसान है और चूंकि रोजगार नहीं है, जिसके कारण इतनी गरीबी है कि वस्तुओं के उपभोग करने की क्षमता ही नहीं है, इसलिये ये गरीबी वस्तुओं को दिखा कर सिर्फ ललचा सकती है, उन्हें दिला नहीं सकती। ये आम जनता का नुकसान है।
आप जानते है, अमेरिका, चाइना,जापान जैसे विकसित देशों का हाल ये है, कि इनके यहा उत्पादन तो है किन्तु उपभोग (कंजम्प्सन) नहीं है। इनके उत्पादन का उपभोग हम करते है, जरा सोचिये हम उत्पादन बढ़ा के, रोजगार बढ़ा के, आय नहीं बढ़ा रहे है जितनी आय है, उसी में उन देशो के सामानों का उपभोग लगातार किये जा रहे है। कितने दिन चलेगी हमारी यह आय यही प्रक्रिया हमे लगातार गरीब बनाती जा रही है। एक बात और आप जानते है कि हमारे देश की जनसंख्या 150 करोड़ के ऊपर का आकड़ा पार कर चुकी है। हमारे देश में हर मिनट लगभग 51 बच्चे पैदा हो रहे है और अब ये लगातार अभिशाप बनता जा रहा है लेकिन जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है वो ये है कि लगभग 44 मिलियन से ऊपर लोग बिना किसी रोजगार के है। ये वो कार्यशील जनसंख्या है, जो आयु में 15 से 59 वर्ष के बीच है, जिसके हाथ में हर हाल में कार्य होना चाहिये, परन्तु वो बेरोजगार है। हमारे यहां हर तीसरा ग्रेजुएट बेरोजगार है।
अब जरा सोचिये अगर इन 44 मिलियन लोगो के हाथ में रोजगार होता तो हमारी कुल कार्यशील जनसंख्या जो लगभग कुल जनसंख्या का 60 प्रतिशत से ज्यादा है, के हाथ में रोजगार होता। अच्छी आय होती जिसको भी वो बची हुयी 40 प्रतिशत जनसंख्या जो की बच्चे और बुजुर्ग होते है। पर बड़े आराम से खर्च करते और सभी , किसी भी खुशियों के मोहताज नहीं होते। अब जरा सोचिये की अगर सम्पूर्ण कार्यशील जनसंख्या के हाथ में एक अच्छी आय होती तो ये खर्च करते ही (अर्थात वस्तुओं की मांग पैदा करते ही) साथ ही अपनी आय को अपनी जरुरत के अनुसार वो बच्चे और बुजुर्ग भी खर्च करते (अर्थात वस्तुओं की मांग पैदा करते )जो इनका परिवार है। उस समय देश में उपभोग का बाज़ार हमारी पूरी जनसंख्या होती, तो जरा सोचिये की ये पूरी जनसंख्या मिल के अगर मांग (डिमांड) पैदा करती ,तो वो कितना ज्यादा होता यानी हमारी मांग का बाज़ार कितना बड़ा होता। अब सोचिये की अगर इतनी बड़ी मांग होती तो हमारे उत्पादक वर्ग को हमारे व्यवसायी वर्ग को करने के लिये कितना कुछ होता और इन दोनों वर्गो को मिला कर कितनी मज़बूत अर्थव्यवस्था होती हमारे देश की। आप जानते है अगर ऐसा हो जाता तो हम इस अर्थ प्रधान विश्व के सबसे शक्तिशाली देश होते,हमारा रुपया सबसे मज़बूत होता, जिस प्रकार आज पूरी दुनिया का प्रतिनिधित्व अमेरिकन डालर और अमेरिकन सरकार कर रही उस समय हम कर रहे होते। स्वराज ने इस देश में यह स्थिति लाने के लिए देश को विश्व का सबसे शक्तिशाली राष्ट्र वो भी बेहद कम समय में बनाने के लिए एक अत्यन्त मजबूत आर्थिक मॉडल बनाया है। और उस पर काम करने जा रहा है। लेकिन हम जानते है कि ये आप के सहयोग के बिना पूरा होना सम्भव नहीं है।
अतः प्लीज आइये हमारे साथ हम अपनी सबसे बड़ी धरोहर का प्रयोग करके हमारी भारत मां को सबसे शक्तिशाली बनाते है।