आज हमारे देश का प्रत्येक व्यक्ति चाहे वो महिला हो पुरुष चाहे वो बच्चा हो या बुजुर्ग सभी अपने आत्म-सम्मान, अपने इगों के साथ जीते है। आजादी के पहले आत्म-सम्मान कही था ही नहीं। प्रशासनिक क्षेत्र में सारे बड़े अधिकारी अंग्रेज होते थे, सारे बड़े व्यापारी अंग्रेज होते थे। हम चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते थे। जीवन नरकीय था। हम अपनी ही सड़कों पर अगर कहीं अपनी बहन या माँ के साथ जा रहे होते थे,तो कोई भी अंग्रेज हमारी बहन या माँ पर अश्लील टिप्पणी कर सकता था। उनकी अस्मत ही लूट सकता था और हम उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते थे। आजादी के पहले अगर हम अपने पिता जी, जो कि अति पूज्यनीय होते हैं, के साथ किसी भी सार्वजनिक स्थान पर होते थे, तो कोई भी अंग्रेज किसी भी समय उनकी अत्यन्त शर्मनाक बेइज्जती करने के लिए स्वतन्त्र होता था, और इसकी कहीं कोई सुनवाई भी नहीं थी।
हमारे देश का सारा खनिज कच्चा माल लूट कर के वो इसी से निर्मित माल बना के इतने मनमाने रेट पर हमे ही बेचते थे कि हम केवल देख देख के तरसते थे पर उपभोग नहीं कर पाते थे। अंग्रेजों के कुत्ते भी हमसे बहुत बेहतर जिन्दगी जीते थे, परन्तु हमारे बच्चे, कुत्तें से भी बहुत बुरी जिन्दगी जीते थे। हमारे देश का एक छोटा सा बच्चा लगातार लालच भरी नजर से उस बिस्किट की तरफ देखता रहता था जिसे एक अंग्रेज अपने कुत्ते को बहुत संतुष्टि पूर्ण तरीके से खिलाता था। हमने तो अपमान का यहाँ अंश मात्र लिखा है, परन्तु इसका कई गुना ज्यादा झेला हमारे देशवासियों ने । देश को इस समस्त अपमान से मुक्ति दिलाया हमारे क्रांतिकारियो की शहादत ने। भगत सिंह ने जान दे दी, राजगुरु ने जान दे दी, सुखदेव ने जान दे दी, चन्द्रशेखर आजाद ने जान दे दी, जलियावाला बाग में सैकड़ों लोगों ने जान दे दी । देश को आजाद कराने में लाखों लोगों ने जान दे दी। जानते है क्यों ? क्योंकि हम अपनी माँ, अपनी बहन, अपने पिता का अपमान ना सह सके। क्यों परवाह की उन्होने हमारे अपमान की, हमारी गरीबी की और परवाह भी की तो इतनी ज्यादा कि अपनी जान तक दे दिया। जरा सोचिये जान देना कितना असम्भव कार्य है परन्तु उन क्रांतिकारियों ने किया।
आइये अब हम बताते है कि उन्होने ऐसा क्यो किया उनसे हमारा क्या रिश्ता है। उनसे हमारा भाई-भाई का रिश्ता है। जी हां, हम और वो एक ही माँ के पेट से पैदा हुए है। हम दोनों की एक ही माँ है। हमारी भारत माँ। और उन्होने अपने जीवन का बलिदान अपने उन भाई बहनों के लिए किया जो उनके समय काल में पैदा तक नहीं हुये थे। जरा सोचियें उन्होने किसके लिए क्या त्याग कर दिया। उन्होंने हमारी माँ के लिए अपना जीवन त्याग कर दिया और अन्ततः हमारी माँ को आजाद कराया । हमारी भारत माँ को अपने जूतों के तले रौंदने वाले अंग्रेजों को तो खदेड़ दिया हमारे बड़े भाइयों ने, किन्तु अपने प्राण नहीं बचा सके, आप जानते है जब वो अन्तिम विदा ले रहे थे ना तो हमारी भारत माँ उन्हें अपनी गोद में लेकर रो रही थी। हाथ बढा के उन्होने माँ के आंसू पोंछे और माँ का हाथ हमारे हाथों में रख दिया। बड़ी हसरत भरी नजरों से हमारी तरफ देखा और माँ का ख्याल रखना ये कहते हुये चल बसे।
हम अब इसमें एकदम नहीं पड़ते कि अभी तक हम अपनी भारत माँ का कितना ख्याल कर पाये, कितना नहीं। हमारी भारत माँ अभी भी अपने अन्दर भूख से तड़प कर बच्चों को मरते देखती है। हमारी भारत माँ अभी भी जब अपने आस-पास नजर उठा के देखती है तो उन्हे अपने ही समकक्ष बहने (अन्य देश ) बहुत ही समृध्दि, आत्म-निर्भर और खुश नजर आती है। तो अब यहां से शुरू होता है हमारा काम ।
आज हम मशीनों से लेकर रसोई तक, यातायात से लेकर कृषि तक, कपड़ों से लेकर मैनुफैक्चरिंग तक, फाइनेंस से लेकर इंशोरेंस तक रियल स्टेट से लेकर दूर संचार तक, केमिकल से लेकर पेपर तक, जनरल से लेकर पर्सनल तक सारी चीजों में विदेशी कम्पनियों के सामान इस्तेमाल करने लगे हैं। जरा सोचिये भारत जैसे हैवी कंजम्प्सन (अत्यधिक प्रयोग ) करने वाले देश में ये कम्पनियां कितना उत्पाद बना के बेचती होंगी। और कितना प्राफिट कमाती होगी। अब यही से हमारा काम शुरू होता है कि सबसे पहले हमे अपने देश से गरीबी और भूख खत्म करनी होगी, सबके हाथ में में रोजगार देना होगा, उत्पादन बढ़ाना होगा, प्रति व्यक्ति आय बढ़ानी होगी। ये सब कैसे होगा इसके लिए देखे हमारा विकास का मॉडल। अपने प्राण गवा के हमारे वीर शहीदों ने , हमारे क्रांतिकारी भाइयों ने, हमें जो भारत माँ सौंपी है अब उनको बहुत समृद्धिशाली बनाना होगा। बहुत खूबसूरत बनाना होगा। अगर हम भारत सरकार की माने तो 2014 दिसम्बर के अन्त तक हमारी भारत माँ के ऊपर $461. 9 बिलियन का कर्ज लदा हुआ है। हमे बहुत जल्दी अपने देश के अन्दर इतना विकास पैदा करना है, इतना धन पैदा करना है, कि हम अपनी भारत माँ को कर्ज की इन बेड़ियों से मुक्त करा केउन्हें सोने और हीरे जवाहरात से सजा सके।
आपको पता है, हमारी माँ, हमारी भारत माँ बहुत खूबसूरत है। एक बार जब अपने सारे बच्चों को भूख से मुक्त बहुत खुश देख के, कर्ज की बेड़ियो से मुक्त हो के, और ढेर सारी समृद्धि का श्रंगार करके मुस्कुरायेगी ना तो पूरा विश्व देखता रह जायेगा। अब हमें ये करना है। अपनी भारत माँ की ये मुस्कान वापस लानी है।