कमरें में लगी महान क्रांतिकारियों की फोटो अपलक निहारे जा रहा था। कभी भगत सिंह को देखता तो कभी सुभाष को, ये ही वो भारत माँ के सपूत है जिन्होंने देश आज़ाद कराने में अपने प्राणों की आहुति दे दी। देश आज़ाद हो गया , पर यह क्या ? हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी पीछे है। अब यह काम हमारा है कि हम इस आर्थिक युग में अपने देश को इतना आगे ले जायें कि हमारी गिनती भी उन देश भक्तो में हो, जिन्होंने देश को आज़ाद कराया।