आज़ादी तो मिल गई अब आर्थिक और व्यापारिक रूप से भी बनेंगे सशक्त

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देश तो आज़ाद हो गया। पर अर्थव्यवस्था अभी भी गुलामी की ज़ंजीरो से पूरी तरह से मुक्त न हो पायी। ये गुलामी कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योंकि आज भी अपनी मांग की पूर्ति के लिए, हम विश्व की ओर निहार रहे है। क्या यह भी संयोग कभी आ पाएगा ? जब विश्व हमारी ओर निहारे। जिस दिन ये क्षण और पल आ जाएँगे। हमारे देश का मस्तक गर्व से ऊंचा हो जायेगा। उस वक़्त हम और आप भी देश के उन महान सपूतों में गिने जाएंगे । जिन्होंने देश के लिए जान भी न्योछावर कर दी। लाना होगा, ये क्षण, चलना होगा साथ सदस्य बनकर।

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विश्व में पैदा करेंगे अपने उत्पादों की माँग

उन सपूतों के बलिदान को व्यापार की प्रेरणा बनाते है , जिन्होंने देश के लिए जान दे दी

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