आइये हम पहले आप को एक गांव की उस विभत्स दशा को बताते है जहां सैकड़ों परिवार इसी जिन्दगी की क्रूरता को प्रतिदिन जीते है। सबसे पहले आप अपने घर के अन्दर एक नजर डालिये, आपके घर में खाने के लिए पर्याप्त भोजन है, जिसमें हर तरह के विटामिन्स, प्रोटीन और मिनरल्स मौजूद है। आप जब चाहे , जो चाहे मीठा, चटपटा, मिठाईयाँ, नमकीन, चाट आदि सब कुछ खा सकते है, दूध, घी, दही, इन सब का सेवन कर सकते है। प्रचण्ड गर्मी से राहत दिलाने के लिये एयर कन्डीशन कमरें है। चलने के लिए एयर कन्डीशन कार है, पहनने के लिए तन पर शानदार कपड़े है| स्वयं सहित घर के किसी भी व्यक्ति को, किसी भी प्रकार की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा के उन्हे चिकित्सा सम्बन्धी किसी भी दुखों से मुक्ति दिलाने में आप पूर्णतया सक्षम है। अगर आप या आप का परिवार जरा भी स्ट्रेस, मानसिक थकान महसूस करते है, तो इससे मुक्ति दिलाने के लिए आप मनोरंजन के कई साधन खुद के लिए या परिवार के लिए उपलब्ध करा सकने में सक्षम हैं। अपने बच्चों की उच्च शिक्षा देने में आप सक्षम है। अपने बच्चों को डॉक्टर, इंजीनियर या उच्च अधिकारी बनाने के लिए जो शिक्षा आवश्यक है, उसे एफोर्ड करने में पूर्णतया सक्षम है। और ये सब आपने आपनी मेहनत से बनाया है, जो कि वास्तव में गर्व की बात है। भारत मां को आप पर नाज है। आपकी मेहनत पर नाज है।
अब आइये आप को एक गांव के एक घर के विषय में बताते है। घर के अन्दर भोजन के नाम पे थोड़ा सा मोटा वाला चावल है, दाल महीनों से नहीं खाया है, सब्जी के नाम पर केवल पानी और आलू की बनी हुई सब्जी है। हफ्ते में 2 या तीन बार रोटी खाने भर का आटा है बस, बच्चे ने तो शायद कभी मिठाई खायी ही नहीं है। बड़े तो भूल गए हैं कि मिठाई कब खाई थी और उसका स्वाद कैसा होता है। तन पर पहनने के लिए केवल एक या दो सेट कपड़ा है जो कि पता नहीं कब से पहन रहे हैं। घर में यह भोजन भी केवल एक या दो दिन के लिए ही पड़ा है। आगे अगर काम मिला तो भोजन कर पाएंगे नहीं मिला तो नहीं कर पाएंगे। इनकी पूरी जिन्दगी केवल और केवल भूख से लड़ने में गुजरती है। कब गांव में पैदा हुआ एक छोटा सा बच्चा भूख से लड़ते- लड़ते बड़ा होकर बुजुर्ग हो जाता है, उसे पता ही नहीं चलता।
इनके लिए कभी कोई होली दिवाली नहीं होती। इनके लिए जीवन में केवल एक चीज सच होती है, वो है भूख, ये जब माँ के पेट में थे तब भी भूखे थे और अपनी चिता पर सोते हैं तब भी भूखे होते है। ये सारी बातें अधिकांश गांवों में रहने वाले सारे परिवारों की हैं। अब अगर आपने हाथ बढ़ाया तो इन्हें एक नई जिन्दगी मिलेगी। भूख से ऊपर भी दुनिया में कुछ होता है, इन्हें पता चलेगा। अतः “स्वदेश व्यापार मंडल” आपसे निवेदन करता है कि एक बार आप हमारा विकास का मॉडल पढ़िए, आप देखिए कि उसमें हमने किसी गाँव में केवल पांच वर्ष में कितना अधिक विकास करने का एक आर्थिक मॉडल दिया है। अब अगर एक गाँव को आप गोद ले लें और अपने सहयोग से किसी भी एक गाँव में यह विकास का मॉडल शुरु करा दें तो आप देखेंगे कि इस गाँव में लोगों की जिंदगी ही बदल जाएगी। उन्हें भूख से ऊपर उठकर दुनिया देखने को मिलेगी। उनका पेट हमेशा भरना शुरु हो जायेगा और वो देश के उत्पादन में सहयोगी हो जाएंगे। एक माँ का बेटा जिसे अपनी माँ को दो रोटी खिलाने के लिए बाहर कमाने जाना पड़ता था
एक पति एवं पिता जिसे अपनी पत्नी एवं बच्चों को छोड़कर बाहर कमाने जाना पड़ता था और उसकी पत्नी रोज शाम को अपने बच्चों को एक झूठा दिलासा देती थी, कि बस पापा आने वाले हैं, बस आने वाले हैं, ये कहते-कहते उसके खुद के आंसू निकल आते थे। अब उसके आंसू नहीं निकलेंगे इन घरों में भी होली और दीवाली शुरु हो सकेगी। और ये सब केवल और केवल आपके सहयोग की वजह से ही हो सकेगा। अब आप सोचिए ये घर ये परिवार जिनके घरों में केवल आपके कारण ये दिन देखना नसीब हुआ, वो आपको किस तरह से लेंगे।
जिनकी जिंदगी आपने बदल दी, जिनकी जिंदगी में आपकी वजह से भूख खत्म हुई उनके हाथ में दो पैसे आए। एक माँ को उसका बेटा मिला, एक पत्नी को उसका पति मिला, बच्चों को उसके पिता मिले, रोगों से मुक्ति मिली, एक सुन्दर भविष्य मिला, वो आपको भगवान की ही तरह पूजेंगे, जिन्हें आपने इतने कष्टों से मुक्ति दिलाई वो भगवान की ही तरह आपकी तस्वीर अपने घरों में लगा देंगे और भारत माँ खुशी के मारे अपने सजल नेत्रों से आपको अपने गले से लगाएगी और आप पर वाकई नाज करेगी। आपके द्वारा किया गया ये वो काम होगा जिसे उन देशभक्तों द्वारा (जिन्होंने देश को आज़ाद कराने में अपने प्राण तक दे दिए) द्वारा हमारे लिए छोड़ा गया था और आपने इन देशभक्तों के कार्य को आगे बढ़ाते हुए भारत माँ की सच्ची सेवा की है। इसलिए कृपया आईये जुड़िये हमारे मानवता के इस परम पवित्र यज्ञ “मिशन डिफीट द हंगर” से !